Friday, November 14

दूध का महत्व


प्रोटीन,विटामिन,कार्बोहाइड्रेट,खनिज,वसा,आयरन और इन्जाइम से भरपूर होता है।
बुद्धि के विकास के लिए लाभप्रद है।
केल्शियम और फास्फोरस दांतों के लिए लाभकारी हैं।
विटामिन से आँखों की रौशनी बड़ती है।
विटामिन बी नाडी मंडल के लिए लाभकारी है।
विटामिन सी शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा करता रात रात रात रात।
रात में सोने से पहले १ कप दूध का सेवन करने से नये रक्त का निर्माण होता है।
हल्के गर्म दूध का सेवन पाचन तन्त्र को ठीक रखता है। {प्रात: काल }
मधुमय रोगियों को वसा रहित दूध पिने की सलाह दी जाती है।
दूध में काली मिर्च और मिश्री मिलाकर पीने से सर्दी-जुकाम में आराम मिलता है।

अनार करे दूर विकार


प्यास,शरीर में जलन और बुखार में लाभकारी होता है।
ह्रदय रोगों में विशेष रूप से लाभप्रद है।
खट्टा मीठा अनार अतिसार और खुजली में लाभकारी है।
सुखी खाँसी में अनार का सूखा छिलका उपयोग करें,लाभ होगा।
यकृत के लिए रामबाण है।
रक्त विकारों में लाभ देता है।
सीने की जलन शांत करता है।
पेट को मुलायम रखता है।

अनानास से फायदे


शरीर के भीतरी विषों को बाहर निकलता है।
क्लोरिन की मात्र अनानास में भरपूर होती है।
पित्त विकारों में विशेष रूप से लाभकारी है।
पीलिया,पांडू रोगों में लाभकारी है।
गले के रोगों में लाभदायक है।
मूत्र के रोगों में लाभदायक है।

मोसमी की विशेषता


मोसमी का रस पीने से जीवन शक्ति बड़ती है।
वात,पित्त और कफ रोगों में लाभदायक है।
रक्त विकार में रस लाभप्रद है।
वमन के रोग में लाभदायक है।
बुखार के रोग में मोसमी खाने से ऊर्जा बड़ती है।
पेट की अम्लता कम होती है।
पाचन शक्ति रोगों में लाभदायक है।

शहद के गुण


शहद केवल ५ मिनट में शरीर में पच जाता है।
यह जीवन शक्ति का भण्डार है।

इसमे गुलुकोज और फ्रक्टोज पर्याप्त मात्रा में होता है।


शहद की तासीर गर्म होती है।

सुबह-शाम शहद को गरम पानी में मिलाकर पिने से शरीर की चर्बी घटती है।

आँखों में शहद की १ बूंद रोज डालने से आँखों की रौशनी बड़ती है।

अदरक का रस शहद में मिलाकर पिने से खाँसी-जुकाम ठीक हो जाता है।

निम्बू और शहद के रस से चेचक के दाग ठीक किए जा सकते हैं।

शहद का नित्य सेवन करने से दिल और दिमाग की शक्ति बड़ती है।

आम और लाभ की मिठास


आम का सेवन करने से क्षय रोग में लाभ होता है।
पेट से सम्बन्धित रोगों में लाभ होता है।
नेत्र रोग में लाभ देता है।
उच्च रक्त चाप में फायदा पहुचाता है।
स्कर्वी में लाभदायक।
एनीमिया,पीलिया और पेप्टिक अल्सर में रामबाण है।

पपीते से स्वास्थ्य


पपीते के सेवन से अमाशय व आंत सम्बन्धी रोगों में लाभ होता है।
कब्ज और कफ के रोग में लाभकारी है।
यकृत के कार्य को बढाता है।
मुत्रवाहक संस्थानों की शुद्धी करता है।
पपीते के पत्तों का क्वाथ लेने पर बुखार का नाश होता है।
कच्चे पपीते की मरहम का लेप करने पर घाव जल्दी भर जाता है।
आँखें,ह्रदये और त्वचा के लिए अच्छा है।
पेट के सभी रोगों में लाभप्रद है।

Wednesday, November 12

खीरा है सर्वोत्तम


रासायनिक तौर पर खीरा आद्रता ९६.४,प्रोटीन ०.४,वसा ०.१,कार्बोहाइड्रेट २.८,खनिज द्रव्य ०.३,कल्शियम ०.०१,फास्फोरस०.०३%,लोह्तत्व १.५ मिग्रा. प्रति १०० ग्राम विटामिन बी और सी होते हैं।
यह फल मूत्र विकारों के लिए लाभकारी है।
रक्त की कमी हो तो इसका सेवन करना फायदा देता है।
पित्त विकारों में भी लाभदायक है।
यकृत रोगों में लाभ पहुंचता है।

संतरे से फायदे


संतरे में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
पोटेशियम व लोहा भी पाया जाता है।
इसके सेवन से ह्रदय और मस्तिष्क को लाभ होता है।
बुखार में संतरे के सेवन से ताप कम होता है।

साइट्रिक एसिड मूत्र रोगों और किडनी रोगों के लिए लाभदायक है।

बवासीर,बेरी-बेरी,कब्ज ,पेट में गैस,जोडो में दर्द,गठीया, अपचन और उच्चरक्तचाप में विशेष रूप से लाभकारी है।

मुहांसे,झाइयाँ और सांवले पन को दूर करने के लिए संतरे के छिलकों का चूर्ण कच्चे दूध में मिलाकर,३० से ४५ मिनट तक चेहरे पर लगायें।


सेब से रोग निवारण


सेब फल वात्त-पित्त नाशक है।
सेब मधुर,शीतल,वीर्य वर्धक होता है।
सेब मूत्राशय और वृक्कों की शुद्धी करता है।
स्मरण शक्ति बढाता है।
पेट के रोगों में लाभ प्रदान करता है।
बेहोशी और चिडचिडापन में सेब लाभकारी है।
दस्त में सेब का मुरब्बा फायदा करता है।
सेब में विटामिन सी पाया जाता है।
रोज एक सेब खाने से डॉक्टर से दूर रहा जा सकता है।

केला और लाभ


केला मधुर,शीतल,ग्राही,कफ,पित्त,रक्तविकार और वायुनाशक है।
केला वीर्य वृद्धि दायक है।
गर्मी के रोगों का नाश करता है।
पेट के रोगों में रामबाण है।
मुत्र्विकार और अतिसार रोगों में अदभुत लाभ प्रदान करता है।

टमाटर के गुण


टमाटर वजन कम करने की इच्छा रखने वलों के लिए वरदान है।
टमाटर का रस जठर, मूत्र विकारों और आंतों को स्वस्थ रखने में सहायता करता है।
टमाटर कब्ज,गैस और अपचन में वरदान है।
यकृत के रोगों में लाभदायक औषधि है।
टमाटर में लोह तत्व होता है।
टमाटर का सूप ज्वर में लाभ प्रदान करता है।

नारियल की उपयोगिता


हरे रंग के नारियल का पानी का पानी पोषक,शीतल और मूत्रल होता है।
हरे रंग के नारियल का पानी हैजे में पीने से लाभ होता है।
नारियल का पानी जीवनुमुक्त होता है।
हरे रंग के नारियल के पानी में पोषक तत्व विद्यमान होते हैं।
नारियल मूत्र सम्बन्धी रोगों एवं पथरी में लाभदायक है।
नारियल का पानी क्षार और पानी दोनों प्रचुर मात्रा में प्रदान करते हैं।

जामुन की विशेषता


जामुन को पितहर,दीपक,मूत्रल,ग्राही के नाम से भी जन जाता है।
जामुन का रस यकृत के रोगों में लाभदायक है।
जामुन का रस पेट की पीड़ा को दूर करता है।
जामुन का रस ह्रदय के लिए भी लाभदायक है।
जामुन मधुमेय रोग के लिए वरदान है।
रक्तपित्त,पथरी,दस्त,अपचन के रोग हों,तो जामुन का सेवन करने से लाभ होता है।

खरबूजा और लाभ


पुरानी खाज में खरबूजे का रस लाभदायक है।
खरबूजे में विटामिन सी पाया जाता है।
खरबूजे के सेवन से पेट की जलन शांत होती है।
खरबूजे में कब्ज दूर करने,कैंसर,दिल की बिमारी,उच्चरक्तचाप जैसे रोगों को दूर करने के गुण पाय जाते हैं।
शरीर की अम्लता को दूर करता है।

Tuesday, November 11

करेला लाभदायक


खाली पेट करेले का रस का सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।
करेला कफ,वायु,बुखार,कृमि,पित्त,रक्तदोष आदि को ठीक रखने में सहायता करता है।
करेले का निकला हुआ रस पीने से पेट के रोगों में लाभ होता है।
करेले का रस रक्त को शुद्ध करता है।
करेले का सेवन कब्ज एवं मूत्र सम्बन्धित विकारों में लाभदायक है।
मधुमेय में करेले का सेवन रामबाण सिद्ध होता है।

अदरक के गुण


अदरक कृमि का नाश करता है,पेट से सारे कृमि बाहर कर देता है।
अदरक आंतों के लिए उत्तम है।
भोजन से आधा घंटा पहले सेंधा नमक और नींबू की कुछ बूंदे मिलाकर ३ से 5 चम्मच अदरक का रस पीने से भूख अधिक लगती है।
अदरक के सेवन से पाचन ठीक प्रकार से होता है,गैस नही होती।
अदरक का रस शहद में मिलाकर पीने से खाँसी,कफ विकार दूर होते हैं।
अदरक का रस मुत्रविकार,पीलिया,अर्श,जलोदर आदि रोगों में लाभप्रद है।

आंवला एक वरदान


आंवला एक वरदान है। यह एक शक्तिदायक फल है। इसका दूसरा नाम अमृतफल है।
इसमे विटामिन सी प्रचुर मात्र में पाया जाता है।
आंवला का सेवन करने से शरीर में रोग-प्रतिरोधक क्षमता बदती है,रक्त की शुद्धी करता है।

दांतों और मसुडों की शक्ति बढाता है।
आँखों की रौशनी के लिए अच्छा है।
उच्चरक्तचाप,कैंसर,चर्मरोग,आधुनिक विज्ञानिक, मानते हैं आधुनिक विज्ञानिक मानते।
आँमला त्रिदोशनाश्क है।
आधुनिक विज्ञानिक मानते हैं कि आंवला में पाए जाने वाला एंटी ओक्सिडेंट एंजाइम बुडापे को रोकता है।
आंवले का तेल सिर के रोगों के लिए अचूक दवा है।

मूली की उपयोगिता


मूली में प्रोटीन,कल्शियम,आयोडीन,लोह तत्व पाया जाता है। इसमें सोडियम,फास्फोरस क्लोरीन और मैग्नीशियम भी पाए जाते हैं। मूली में विटामिन A,B,C भी पाये जाते हैं।
मूली दांतों को मजबूत करती है,हड्डियों के लिए भी लाभदायक है।
मूली के साथ हल्दी खाने से बवासीर ठीक हो जाती है।
१ कप मूली के रस में,१ चम्मच अदरक का रस और १ चम्मच निम्बू का रस सेवन करने से भूख बड़ती है और पेट के रोगों में लाभ प्रदान करता है।
मूली के रस में,अनार का रस मिलाकर सेवन करने से हीमोग्लोबिन बढता है।
सुखी मूली का काड़ा और जीरा व नमक डालकर पिने से दमा और खांसी में लाभ होता है।

पुदीने की उपयोगिता


पुदीने में विटामिन A प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
पुदीने के २ चम्मच रस में काला नमक डालकर पीने से वायु और गैस तथा पेट के कीडे नष्ट हो जाते हैं।
पुदीने व तुलसी के पत्तों का काड़ा बना कर सुबह शाम लेने से मलेरिया में लाभ होता है।
पुदीने की रस की २ से ३ बूंदें नाक में डालने से पुराना जुकाम ठीक हो जाता है।
पुदीने के रस में निम्बू मिलाकर लगाने से दाद ठीक हो जाती है।
पुदीने के रस में अदरक का रस मिलकर पीने से उलटी और दस्त ठीक हो जाता है।
पुदीने के रस में शहद डाल कर लेने से अपचन,आंत का दर्द ठीक हो जाता है।

नीम से फायदे


नीम एक ऐसा वृक्ष है जो जड़,छाल,पत्तियों सभी ओर से स्वास्थ्य वर्धक है।
नीम की जड़ पानी में उबाल कर पिने से बुखार दूर हो जाता है।
नीम की छाल पानी में घिस कर फोडे-फुंसियों पे लगाने से ठीक हो जाते हैं।
छाल का काडा बनाकर रोज स्नान करें,फोडे-फुंसियाँ ठीक हो जाती हैं।
छाल का काडा दिन में २ बार पीने से पुराना बुखार भी ठीक हो जाता है।
छाया में सूखी छाल की राख बनाकर कपड़े से छान लें। इसमे २ गुना पिसा हुआ सेंधा नमक मिला लें,रोज इससे मंजन करें,पायरिया ठीक हो जायेगा।
नीम की पत्तियां पानी में उबाल कर घाव धोने से घाव ठीक हो जाता है।
नीम की पत्तियों का रस २ चम्मच और २ चम्मच शहद मिलाकर प्रात:काल पीने से पीलिया में लाभ होता है।

नियमित नीम की दातुन करने से दांत मजबूत होते हैं।
नीम की पत्तियों का सेवन खून को साफ़ करता है।
नीम की पत्तियों में थोड़ा सा अजवायन और गुड़ मिलाकर कुछ दिन तक पीने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।

अंगूर और लाभ


अंगूर में सर्वोतम प्रकार का गुलुकोज एवं फ्रक्टोज होता है,जिससे रस पेट में पहुंचते ही शीघ्रता से सुपाच्य हो शरीर में ऊर्जा और ताप प्रदान करता है।
अंगूर में शर्करा २५ प्रतिशत होती है।लोहा पर्याप्त मात्रा में होता है जो हिमोग्लोबिन बडाता है। खून की कमी वालों को इसका सेवन जरुर करना चाहिए।
अंगूर बल वर्धक है। आँखों के लिए फायदेमंद और ज्वर में लाभदायक है।
वात व पित्त की यदि वृद्धि हो तो इसका सेवन करने से दूर हो जाती है।
अंगूर क्षारीय आहार है,शरीर में विषैले पदार्थों को बाहर निकलता है।

Monday, November 10

अमरुद से ईलाज


१ अमरुद आग की गर्म राख़ में दबा कर सेक लें।२ से ३ दिन तक इसका सेवन करने से काफ निकल जाता है,खांसी में आराम मिलता है।
अमरुद का नित्य सेवन करने से कब्ज ठीक हो जाती है।
अमरुद काटने के बाद कालीमिर्च व सेंधा नमक उप्पेर डाल लें।इसका सेवन करने से पेट का अफारा,अपचन ठीक हो जाते हैं।
अमरुद के ताजे पत्ते चबाने से मुह के छाले ढीक हो जाते हैं।

गाजर से रोग निवारण




गाजर का रस रोज पिने से दिमागी कमजोरी दूर होती है।

कच्ची गाजर खाने से आँखों को लाभ होता है।

गाजर का सूप दस्त में लाभदायक है।

गाजर का रस पिने से पेशाब के रोग ठीक हो जाते हैं।

ताजे गाजर का रस सिर पे लगाने से नकसीर में लाभ होता है।

लाल गाजर को भून लें या उबाल लें। उसे खुले आकाश में रात भर लाख दें। सुबह उसमे मिश्री मिलाकर लें,ह्रदय की कमजोरी में तथा ह्रदय की धडकन बडी हो तो लाभ होता है।

मेथी के लाभ


कब्ज रोग में मेथी की सब्जी खाने से लाभ होता है।
रोज सुबह व श्याम मेथी का रस निकाल कर पियें मधुमय ठीक हो जाती है।
मेथी की सब्जी में अदरक,गर्म मसाला डालकर खाने से निम्न रक्तचाप में फायदा होता है।
मेथी और सोंठ ३२५-३२५ ग्राम की मात्र लें,दोनों का चूर्ण कपड़े में छान लें,स्वा ५ लीटर दूध में ३२५ ग्राम घी डालें। अब दोनों को मिला लें।यह सब जब तक गाडा न हो जाए तब तक पकायें। उसके बाद ढाई किलो शक्कर मिलाकर धीमी आंच पे पकायें।
अच्छी तरह तैयार हो जाने पर उसे नीचे उतार लें,उसमे लेंदिपिपेर,सोंठ,पिपरामुल,चित्रक, अजवायन,जीरा,धनिया,कलोजी,सोंफ,जायफल,दालचीनी,तेजपत्र,नागरमोथ[४०-४० ग्राम सभी ] और कालीमिर्च ६० ग्राम चूर्ण मिलाकर दाल दें। थोड़ा-थोड़ा सुबह-श्याम खायें।
वातरोग,मिर्गी,अम्लपित,नासिकरोग,नेत्ररोग,शिरोरोग में लाभप्रद है।

Sunday, November 9

नींबू और उपचार


१। नींबू को रोज नाखुनो पे रगडें,रस सूख जाने पैर पानी से धो लें।
२। एक गिलास पानी में निम्बू निचोड़ लें, सेंधा नमक मिलाकर रोज सुबह श्याम १ से १.५ महिना सेवन करें। पथरी निकल जाती है।
३। एक चमच निम्बू के रस में दो चम्मच पानी और ३ चम्मच चीनी मिलाकर बालों में लगायें,१ से १ से १.५ घंटे बाद सिर को धो लें,रुसी[dendraf] ठीक हो जाता है।
४। एक गिलास गर्म पानी में आधा निम्बू निचोड़ कर सुबह श्याम गरारे करें,गला दर्द,गला बैठाना रोग दूर होते हैं।
५। पपीते में निम्बू व कलि मिर्च डालकर खाएं [१ हफ्ते तक] अपचन ठीक हो जाता है।
६। १ चम्मच निम्बू का रस,१ चम्मच पीसी हुई अजवायन,आधा कप गर्म पानी मिलाकर रोज पियें गैस हो तो ठीक हो जाती है।
७। निम्बू की १ फांक में पिसा हुआ जीरा,काली मिर्च व काला नमक ७ दिन,दिन में दो बार लेने से पेट के कीड़े दूर हो जाते हैं।
८। तेज गर्म पानी में निम्बू निचोड़ कर घूंट-घूंट पीने से हिचकी ठीक हो जाती है।
९। १ कप ठंडे पानी में चूथाई नींबू नीचोड़ कर,सवाद के अनुसार चीनी व नमक मिलाकर २-२ घंटे में लें,दस्त बंद हो जाते हैं।
१०। नित्य नींबू का रस पीने से मोटापा घटता है।
११। नींबू का रस,२ चम्मच शहद मिलाकर चाटने से खांसी,जुकाम ठीक हो जाता है।
१२। मूली,अदरक के टुकड़े और नींबू डालकर खाने से रक्त की कमी दूर होती है।
१३। नींबू के रस को दातों पे मलने से दंत चमकने लगते हैं।
१४। रोज सुबह नींबू की मीठी शिकंजी पीने से चक्कर नही आते।

तुलसी और लाभ


तुलसी भारत पूजे जाने वाली औषधि है। इसका पौधा घर-घर में आसानी से मिल जाता है। तुलसी की लगभग ६० जातियाँ होती हैं।
रासायनिक गुण- तुलसी में किनोल एवं एल्केलाइड पाए जाते हैं। जिसका औषधीय उपयोग है।
रोग एवं उपचार-
१। उदर रोग- तुलसी एवं अदरक का रस समान मात्रा में मिलाकर खाने से पेट दर्द में आराम मिलता है।
२। तुलसी और काली मिर्च का काडा पीने से बुखार का नाश होता है।
३। तुलसी के पत्तों का रस कान में डालने से कान दर्द में आराम मिलता है।
४। तुलसी और शहद मिलाकर आँखों में डालने से आँखें स्वस्थ रहती हैं।
५। तुसली,भृंग राज के पत्तों का रस और आवला पीसकर मिला लें, इस दवा को बालों में लगाने से बाल झाड़ना बंद हो जाते हैं व काले रहते हैं।
६। तुलसी के बीजों का चूर्ण व अशोक के पत्ते का रस बराबर मात्रा में मिलाकर सेवन करने से रक्त प्रदर ठेक होता है।
७। तुलसी पत्र व काली मिर्च का शुद्ध घी के साथ सेवन करें वात रोग ठीक होता है।
८। ११ पत्ते तुलसी व ११ काली मिर्च मिलाकर खाने से सर दर्द ठीक होता है।
९। तुसली एवं नीम के पत्ते मिलाकर खायें खाज रोग ठीक होगा।
१०। तुलसी और निम्बू का रस बराबर मात्रा में लगाने से मुहांसे ठीक हो जाते हैं।
११। तुलसी और पीपल के पत्ते लगाने से बालतोड़ ठीक होता है।
१२। तुलसी और गिलोय पीसकर मिश्री के साथ खाने से रक्त विकार दूर होता है।
१३। तुलसी के ३ से ५ पत्ते खाने से मुह में दुर्गन्ध नहीं होती।
१४। तुलसी और गो घी मिलाकर पिलाने से जहर उतर जाता है।